स्पोर्ट्स डेस्क। ब्रिस्बेन में गाबा का मैदान यानी गेंदबाजों के लिए स्वर्ग। यहां की पिच में अपेक्षाकृत उछाल ज्यादा होता है। सीम पर गिरी गेंद बल्लेबाजों को बहुत तंग करती है। स्पिनर्स भी प्रभावी होते हैं। भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज का चौथा और आखिरी मैच यहीं जारी है। टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 369 रन बनाए।
शनिवार को खेल के दूसरे दिन कंगारू ऑलआउट हुए। भारत की ओर से तीन गेंदबाजों ने 3-3 विकेट चटकाए। डेब्यूटेंट पेसर टी नटराजन और स्पिनर वाशिंगटन सुंदर ने 72 साल पुराना कारनामा दोहराया। दोनों गेंदबाजों ने तीन-तीन शिकार किए, इससे पहले 1949 में भारत की ओर से डेब्यू करने वाले दो खिलाडिय़ों ने एक पारी में तीन या उससे ज्यादा सफलता अर्जित की थी।
तब वेस्टइंडीज के खिलाफ कोलकाता में मंटू बनर्जी और गुलाम अहमद ने पदार्पण करते हुए 4-4 विकेट लिए थे। बावजूद इसके कैरेबियाई टीम 366 रन बनाने में काबयाब रही थी। हालांकि यह मैच ड्रॉ रहा था। तब लाला अमरनाथ भारतीय टीम के कप्तान हुआ करते थे। अब लंबे अंतराल के बाद नटराजन और सुंदर के रूप में भारत की ओर से डेब्यू करने वाले दो खिलाडिय़ों ने एक ही टेस्ट पारी में 3+ विकेट चटकाए।
इस रिकॉर्ड के अलावा भी टी. नटराजन अपने पहले टेस्ट को कई मायनों में यादगार बनाया। एक ही दौरे में खेल के तीनों फॉर्मेट में डेब्यू करने वाले पहले भारतीय बने नटराजन ने आरपी सिंह के खास क्लब में भी जगह बनाई है। ब्रिस्बेन टेस्ट की पहली पारी में 78 रन पर तीन विकेट चटकाते हुए वह डेब्यू में किसी लेफ्ट आर्म पेसर के सबसे अच्छे आंकड़े वाले दूसरे गेंदबाज भी बन गए। आरपी सिंह ने अपने पहले टेस्ट में पाकिस्तान के खिलाफ 2005/06 में 89 रन देकर 4 विकेट झटके थे।