नई दिल्ली (एजेंसी)। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। आज इसकी घोषणा की जाएगी। कैबिनेट ने भी नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इसका ऐलान भी आज होगा। नई शिक्षा के तहत अब उच्च शिक्षा के लिए एक ही नियामक संस्था होगी।
इस वर्ष कोविड-19 महामारी के चलते उच्च शिक्षा में नया शैक्षणिक सत्र सितंबर-अक्टूबर से शुरू हो रहा है। सरकार नई शिक्षा नीति को नए सत्र के शुरू होने से पहले लाना चाहती है।
इससे पहले 1 मई को पीएम मोदी ने नई शिक्षा नीति के मसौदे की समीक्षा की थी।
आपको बता दें कि नई शिक्षा नीति पर पिछले करीब पांच सालों से काम चल रहा था। इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अगुवाई वाली एक उच्चस्तरीय कमेटी ने इसे अंतिम रूप दिया।
नई शिक्षा नीति में गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी अनिवार्य किए जाने का उल्लेख नहीं है। तमिलनाडु में द्रमुक और अन्य दलों ने नई शिक्षा नीति के मसौदे में त्रिभाषा फॉर्मूले का विरोध किया था और आरोप लगाया था कि यह हिंदी भाषा थोपने जैसा है।
नई शिक्षा नीति के संशोधित मसौदे में कहा गया है कि जो छात्र पढ़ाई जाने वाली तीन भाषाओं में से एक या अधिक भाषा बदलना चाहते हैं, वे ग्रेड 6 या ग्रेड 7 में ऐसा कर सकते हैं, जब वे तीन भाषाओं में माध्यमिक स्कूल के दौरान बोर्ड परीक्षा में अपनी दक्षता प्रदर्शित कर पाते हैं। इससे पहले के मसौदे में समिति ने गैर हिंदी प्रदेशों में हिंदी की शिक्षा को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया था।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कुछ दिनों पहले कहा था कि नई शिक्षा नीति विज्ञान, प्रौद्योगिकी और भारत केंद्रित अवधारणा पर आधारित है। यह भारत की सांस्कृतिक विरासत पर आधारित होगी और इसका मकसद एक नए भारत का निर्माण होगा- स्वस्?थ, स्वच्छ, सशक्त और श्रेष्ठ भारत। इसमें छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों, जन प्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों, ग्राम पंचायतों सहित समाज के विभिन्न वर्गो से परामर्श किया गया है।
डॉ. निशंक ने कहा था कि नई शिक्षा नीति से मौजूदा शिक्षा और स्किल एजुकेशन व रोजगारपरक शिक्षा के बीच का अंतर खत्म होगा। नई शिक्षा व्यवस्था में विद्यार्थी पढ़ाई के दौरान ही रोजगार व इंडस्ट्री की जरूरत के हिसाब से तैयार हो सकेगा।