नई दिल्ली (एजेंसी)। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ने अपने 700 जवान, जिनमें कई अधिकारी भी शामिल हैं, पिछले छह साल के दौरान खो दिए हैं। मतलब, जिस वक्त उनकी जान गई, वे किसी लड़ाई के मोर्चे या ऑपरेशन पर नहीं थे। उन्होंने आत्महत्या कर अपना जीवन समाप्त कर लिया। सरकार की तरफ से हर बार यही बयान आया कि आत्महत्या के पीछे कोई पारिवारिक कारण रहा होगा।
कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह और इन बलों के पूर्व कैडर अधिकारी मानते हैं कि मानसिक तनाव जवानों का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है। कहीं पर अधिकारी उनकी सुनवाई करते तो कभी ड्यूटी के अनुसार वेतन नहीं मिलता। जोखिम भत्ता और राशन मनी और छुट्टियों तो लेकर शिकायत रहती है। अभी तक एक साल में सौ दिन के अवकाश की योजना सिरे नहीं चढ़ सकी है। आवासीय सुविधा का मौजूदा स्तर संतोषजनक नहीं है। कई बलों के अधिकारियों को अपना कैडर रिव्यू, पदोन्नति और वेतन विसंगतियां दूर कराने के लिए अदालती लड़ाई लडऩी पड़ रही है। एसोसिएशन ने बल की अंदरुनी प्रताडऩा को जवानों की आत्महत्या का एक प्रमुख कारण बताया है।
बता दें कि 2011 से लेकर 01 मार्च 2021 तक देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ से 26164 कर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृति ली है। इसके अलावा 3396 कर्मियों ने सेवा से त्यागपत्र दे दिया। बीएसएफ में इस अवधि के दौरान 36768 कर्मियों ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट ली, जबकि 3837 कर्मी सेवा को छोड़ गए।
आईटीबीपी की बात करें तो 3837 कर्मियों ने रिटायरमेंट और 1648 कर्मी त्यागपत्र देकर सेवा से बाहर हो गए। एसएसबी में स्वैच्छिक रिटायरमेंट का अभी तक का आंकड़ा 3230 रहा है। अगर इस बल में त्यागपत्र देने वालों की संख्या पर गौर करें तो वह 1031 है। सीआईएसएफ में भी साल 2011 से लेकर अभी तक 6705 कर्मियों ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट ली है, जबकि 5848 कर्मी त्यागपत्र देकर चले गए।
असम राइफल में 4947 कर्मियों ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट ली, तो 174 कर्मी त्यागपत्र देकर सेवा से बाहर हो गए। अगर सभी बलों में स्वैच्छिक रिटायरमेंट का कुल आंकड़ा देखें तो वह 81007 है। इसी तरह 15904 कर्मी ऐसे रहे हैं, जिन्होंने विभिन्न कारणों के चलते इन बलों से त्यागपत्र देना बेहतर समझा।
कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह कहते हैं, पिछले छह वर्षो में हमारे 700 बहादुर जवानों ने दुश्मन के खिलाफ कोई युद्ध नही लड़ा। उन्होंने अपने ही अधिकारियों के शोषण से तंग होकर आत्महत्या कर ली। दुख की बात ये है कि देश के हुक्मरानों व ब्रिटिश सोच के नौकरशाहों को इनकी खोज खबर लेने की फुर्सत नहीं है। बतौर रणबीर सिंह, आज अर्धसैनिक बलों के जवानों के हालात काफी खराब हो चुके हैं। जैसा सोशल मीडिया पर देख रहे हैं कि जवानों में कथित तौर से सरकार व अधिकारियों के प्रति व्यापक अंसतोष है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ठीक नही है।
एसोसिएशन के सर्वे के मुताबिक, जवानों के तनावग्रस्त होने के दस कारण हैं…
- केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में ड्यूटी के अनुरुप वेतन नहीं मिल पा रहा है। यह पूर्ण रूप से मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है।
- पदोन्नति के चांस कम होते जा रहे हैं।
- नियुक्तियों की गलत नीति है।
- समय पर छुट्टी न मिलना।
- अपने उच्च अधिकारियों का अमानवीय व्यवहार।
- परिवार से लम्बे समय तक न मिल पाना।
- दबाव में जिन्दगी जीना।
- संवैधानिक मौलिक अधिकारों का हनन होना।
- कैम्पस के अन्दर बंधुआ मजदूर की तरह काम कराना।
- अंग्रेजों के जमाने के बने नियमों का हवाला देकर उच्च अधिकारियों द्वारा जवानों का अनुशासन के नाम पर भावनात्मक शोषण करना