बिजनस डेस्क/नईदिल्ली (एजेंसी)। देश की इकोनॉमी ने सितंबर तिमाही में रफ्तार पकड़ ली है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि जुलाई-सितंबर की अवधि के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.4 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है। बीते साल की समान अवधि में विकास दर निगेटिव में 7.4 फीसदी थी। वहीं, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच जीडीपी ग्रोथ 20.1 फीसदी रही थी। ये बढ़ोतरी संकुचन के बाद की थी। दरअसल, कोरोना की पहली लहर की वजह से जीडीपी निगेटिव में थी, यही वजह है कि जून तिमाही में इतनी बड़ी बढ़त देखी गई ।
बहरहाल, सितंबर तिमाही की बढ़ोतरी इसलिए भी अहम है क्योंकि देश तुरंत कोरोना की दूसरी लहर से बाहर निकला था। आपको बता दें कि कोरोना की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में लॉकडाउन समेत कई पाबंदियां लगाई गई थीं। इस वजह से इंडस्ट्री समेत सबकुछ ठप पड़ा था।
राजकोषीय घाटे का क्या हाल: केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे के भी आंकड़े आ गए हैं। राजकोषीय घाटा अक्टूबर के अंत में वित्त वर्ष 2021-22 के सालाना बजटीय लक्ष्य का 36.3 प्रतिशत रहा। मुख्य रूप से राजस्व संग्रह में सुधार से राजकोषीय घाटा कम रहा है। व्यय और राजस्व के बीच अंतर बताने वाला राजकोषीय घाटा पिछले साल आलोच्य अवधि में 2020-21 के बजटीय अनुमान का 119.7 प्रतिशत पहुंच गया था।
कोर इंडस्ट्रीज का क्या हाल: कोयला, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और सीमेंट क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से कोर इंडस्ट्रीज का उत्पादन अक्टूबर में 7.5 प्रतिशत बढ़ा है। अक्टूबर, 2020 में आठ कोर इंडस्ट्रीज- कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली क्षेत्र के उत्पादन में 0.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इस साल सितंबर में आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष के पहले सात माह अप्रैल-अक्टूबर में बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 15.1 प्रतिशत बढ़ा है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 12.6 प्रतिशत घटा था।