श्रीकंचनपथ न्यूज
भिलाई। राज्य निर्वाचन आयोग नगरीय निकायों के चुनाव इसी साल के अंत तक करा सकता है। शासन-प्रशासन स्तर पर जिस तरह की तैयारियां की जा रही है, उससे यही संकेत मिल रहे हैं। आयोग सूत्रों के मुताबिक, विभागीय तौर पर यह तय किया जा चुका है कि इन चुनावों को अब और ज्यादा टाला नहीं जाना चाहिए। कोराना भी अब काफी हद तक नियंत्रण में है।
इससे पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि निर्वाचन आयोग जनवरी के मध्य तक चुनाव करा सकता है। इस बीच, सत्तारूढ़ दल कमर कसकर तैयार है। जिन-जिन क्षेत्रों में चुनाव होने हैं, वहां कार्यकर्ताओं को नसीहत और हिदायतों के साथ जमीन पर उतरने को कह दिया गया है। विपक्षी दल भाजपा भी चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है। हालांकि कांग्रेस की अपेक्षा उसका काम आंतरिक तौर पर ज्यादा चल रहा है।
छत्तीसगढ़ के कुल 15 नगरीय निकायों में चुनाव होने हैं। इनमें भिलाई नगर, भिलाई-चरोदा और रिसाली नगर निगम शामिल है। ये तीनों नगर निगम दुर्ग जिलांतर्गत हैं, जो मुख्यमंत्री व गृहमंत्री का गृहजिला है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने महंगाई विरोधी जनजागरण पदयात्रा का आगाज भिलाई से किया। सरकार के लिए यह तीनों नगर निगम अति महत्वपूर्ण हैं। भिलाई निगम प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगमों में शुमार है।
वहीं भिलाई चरोदा निगम सरकार के लिए इसलिए भी अहम् क्योंकि यह मुख्यमंत्री का इलाका है। वहीं नगर निगम बनने के बाद रिसाली में पहली दफा चुनाव होने हैं। यह गृहमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र है। भिलाई में जनजागरण पदयात्रा के जरिए सरकार और कांग्रेस पार्टी ने चुनावी शंखनाद पहले ही कर दिया है। इन तीन नगर निगमों के अलावा सारंगढ़, बैकुंठपुर, शिवपुर, जामुल व खैरागढ़ पालिका परिषदों और प्रेमनगर, मारो, नरहरपुर, कोंटा, भैरमगढ़ और भोपालपट्टनम नगर पंचायतों में चुनाव होने हैं। वहीं, कई वार्डों में उपचुनाव भी इसी दौरान कराए जाएंगे। आयोग सूत्रों के मुताबिक, अगले हफ्ते के प्रारम्भ में चुनाव तारीखों का ऐलान किया जा सकता है।
बताया जाता है कि कई जिलों में चुनाव की तैयारियों को पूरा नहीं किया जा सका था, इसीलिए पिछली बैठक में चुनाव तारीखों का ऐलान टाल दिया गया। अब बुधवार को आयोग चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप दे सकता है। इधर, निर्वाचन आयोग की तैयारियों को देखते हुए सरकार भी सक्रिय हो गई है। पूर्व में विधानसभा का शीतकालीन सत्र दिसम्बर के अंत में कराने की योजना थी, किन्तु निकाय चुनाव के मद्देनजर अब यह सत्र पखवाड़ेभर पहले होगा। दरअसल, सरकार भी चाहती है कि विधानसभा सत्र के फेर में प्रशासनिक मशीनरी और सरकारी तंत्र बंधकर न रह जाए।
इसके अलावा प्रदेश सरकार की मंशा मंत्रियों-विधायकों को भी प्रचार-तंत्र का हिस्सा बनाने की है। बताया जाता है कि राज्य निर्वाचन आयोग अगले सप्ताह के प्रारम्भ में चुनाव तारीखों का ऐलान कर सकता है। इसी के मद्देनजर भिलाई में एक बार फिर सरकार पॉवर-गेम खेलने जा रही है। महंगाई विरोधी जनजागरण यात्रा के बाद यहां एक और बड़ा आयोजन करने की तैयारी है। इसके बाद कैबिनेट की बैठक होगी, जिसमें चुनाव वाले क्षेत्रों में विकास के लिए बजट की घोषणा की जा सकती है।
गौरतलब है कि सरकार ने कई निकाय क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए पहले 112 करोड़ रूपए जारी कर दिए हैं। इसके जरिए मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश है कि सरकार विकास के मामले में पीछे नहीं है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती कोरोना के रूप में पेश आई थी। इसके चलते लम्बे समय तक विकास कार्य अवरूद्ध रहे। विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाता रहा है। अब जबकि कोरोना पूरी तरह नियंत्रण में है, सत्तारूढ़ दल यह बताने में जुट गया है कि उसकी पहली प्राथमिकता में विकास ही है।
सेमीफाइनल बताने की तैयारी
प्रदेश सरकार के लिए नगरीय निकायों के ये चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है। कोरोना के चलते जमीनी स्तर पर काम करने में नाकाम रही प्रदेश सरकार इन चुनावों को जीतकर यह बताने की कोशिश में है कि विषम हालातों में भी उसने मजबूती से काम किया और इसीलिए उसे विजय हासिल हुई। सरकार के लोग इसे सेमीफाइनल मुकाबला मानकर चल रहे हैं। इसके जरिए हाईकमान तक भी संदेश पहुंचाने की मंशा है। भूपेश-सिंहदेव प्रकरण के चलते छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की काफी किरकिरी हुई थी। इसलिए हर-हाल में चुनाव जीतकर इसे भूपेश सरकार और उसके छत्तीसगढ़ मॉडल की जीत बताने की कोशिश की जाएगी।
भाजपा भी पीछे नहीं
कांग्रेस के बनिस्बत भाजपा की तैयारियां सतही तौर पर भले ही नजर न आ रही हों, किन्तु पार्टी अंदरूनी तौर पर सक्रिय है। हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने सभी 15 निकायों के कार्यकर्ताओं की वर्जुअल बैठक ली थी। इस बैठक में कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में सक्रिय रहने, वार्ड स्तर पर मुद्दें तलाशने, सरकार की कमियां गिनाने और भाजपा सरकार के 15 सालों की उपलब्धियों का महिमामंडन करने को कहा गया। यूं तो भाजपा के पास इस चुनाव में मुद्दों की कोई कमी नहीं है, किन्तु पार्टी प्रमुख रूप से वर्तमान सरकार और पूर्ववर्ती डॉ. रमन सरकार के कामकाज को लेकर जनता दरबार में जाने के मूड़ में है। पार्टी को लगता है कि कांग्रेस सत्ता में आने के बाद नतीजे देने में नाकाम रही है।
निर्वाचन आयोग भी तैयार
चुनाव को लेकर निर्वाचन पूरी तरह तैयार है। वह स्थानीय स्तर पर मुक्कमल तैयारियों का इंतजार कर रहा है। पिछली दफा कुछ कमियां रह गई थी, लेकिन उन कमियों को दुरूस्त करने की खबर मिलते के बाद वह भी मुकम्मल ऐलान कर सकता है। कोरोना अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, ऐसे में आयोग ने निर्णय लिया है कि चुनाव कार्य में 55 साल से अधिक उम्र के अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवाएं नहीं ली जाएंगी। दोनों टीके लगा चुके लोगों को ही चुनाव कार्य में लगाया जाएगा। वहीं निर्वाचन कार्यालय से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की छुट्टियों पर रोक लगा दी गई है। इसी से संकेत मिल रहे हैं कि आयोग जल्द ही तारीखें घोषित कर सकता है।
कांग्रेसी पदयात्रा का तोड़
प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने महंगाई के विरोध में हाल ही में जनजागरण पदयात्रा प्रारम्भ की है। यह पदयात्रा प्रदेशभर में निकाली जाएगी। भाजपा ने इसका तोड़ निकाल लिया है। पार्टी की युवा इकाई जल्द ही पेट्रोल-डीजल के मुद्दे पर प्रदेश सरकार को घेरते दिखेगी। भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष अमित साहू ने सोमवार को इसका ऐलान किया। उनके मुताबिक, प्रदेश सरकार ने पेट्रोल की कीमत पर अपनी ओर से टैक्स कम नहीं किया है। इसी वजह से आमजन को राहत नहीं मिल पा रही है। वहीं सीमेंट, रेत समेत भवन निर्माण सामग्रियों की कीमतें आसमान छू रही है। शराबबंदी का वायदा भी अधूरा है। ऐसे में कांग्रेस का विरोध-प्रदर्शन औचित्यहीन हो जाता है।