नई दिल्ली (एजेंसी)। राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष होना तय माना जा रहा है। हालांकि अगले साल इसके चुनाव होंगे। लेकिन शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस प्रस्ताव पर तकरीबन सभी नेताओं ने हामी भर दी है। ऐसे में राहुल गांधी का अगले साल राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाना तय हो गया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों की इस मांग पर राहुल गांधी ने विचार करने की बात कही है। खास बात यह है कि इस प्रस्ताव में हामी भरने वाले जी-23 के वे बागी नेता भी हैं, जो कल तक पार्टी के तमाम फैसलों पर न सिर्फ सवालिया निशान लगाते रहे थे बल्कि राहुल गांधी पर भी सवाल उठाते थे।
शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें सबसे अहम मुद्दा पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष को लेकर रहा। सूत्रों के मुताबिक बैठक में तय हुआ कि अगले कुछ महीने में होने वाले पांच विधानसभा राज्यों के चुनावों के बाद कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुना जाएगा। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बैठक में राहुल गांधी को बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा। सूत्र बताते हैं कि बैठक में शामिल सभी नेताओं ने उनके इस प्रस्ताव पर न सिर्फ सहमति जताई, बल्कि अगले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने के बाद पार्टी के संविधान के मुताबिक चुनाव कराकर राहुल गांधी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर हामी भरी। फिलहाल राहुल गांधी ने उनकी इस मांग पर विचार करने की बात कही है।
जिस तरीके से सोनिया गांधी ने शनिवार की इस बैठक में कड़े तेवर अख्तियार कर कांग्रेस के बागी नेताओं को आईना दिखाया, उससे एक बात स्पष्ट है कि पार्टी में किसी भी तरह अनुशासनहीनता करने वाले नेताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक में शामिल सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी के कड़े तेवरों के चलते ही जी-23 के ज्यादातर नेता खुद को पार्टी की विचारधारा और पार्टी संविधान के अनुरूप न सिर्फ काम करने के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने को राजी हुए बल्कि पार्टी भी उन्हें आने वाले दिनों में कई नई जिम्मेदारियां देने की तैयारी कर रही है। हालांकि इससे पहले भी पार्टी ने इस नाराज गुट के कई नेताओं को कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देख कर न सिर्फ पार्टी में उनका मान बढ़ाया बल्कि उन्हें इस बात का अहसास भी कराया कि पार्टी संविधान के मुताबिक अगर वह चलते हैं तो पार्टी उन्हें आगे भी कई जिम्मेदारियां देगी।
प्रियंका गांधी की सक्रियता की तारीफ
कांग्रेस वर्किंग कमेटी में आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड को लेकर भी चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में जिस तरीके से प्रियंका गांधी की सक्रियता है, उससे पार्टी ने न सिर्फ सराहा बल्कि उसे और आगे बढ़ाने के लिए भी कहा। बीते तीन दिनों में कांग्रेस पार्टी में जिस तरीके से प्रियंका गांधी की सक्रियता के चलते संगठनात्मक ढांचे में परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, उससे पार्टी ना सिर्फ उत्साहित है बल्कि इस बात को लेकर आशान्वित भी है कि आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के परिणाम लोगों की सोच से कहीं अलग होंगे। बैठक में इस बात को लेकर भी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से चर्चा की गई कि प्रियंका गांधी की सक्रियता जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में है, उसी तरह से अन्य राज्यों में भी सक्रिय किया जाए। ताकि उन राज्यों में पार्टी को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो।
सोनिया गांधी ने इस बैठक में कुछ बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट रूप से संदेश दिया कि पार्टी का अपना एक लोकतांत्रिक ढांचा है और लोकतांत्रिक ढांचे के मुताबिक ही अगर पार्टी के लोग व्यवहार करें तभी पार्टी को आगे और मजबूती से खड़ा किया जा सकेगा। सोनिया गांधी ने कांग्रेस के कुछ नेताओं को इशारों में मीडिया के माध्यम से उन तक अपनी बात पहुंचाने पर फटकार भी लगाई। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर किसी को कुछ कहना है तो वह सीधे मुझसे बात कर सकता है। सोनिया गांधी के कड़े तेवरों को देखते हुए जी-23 के बागी नेताओं के सुर बदलने लगे। कथित बागी जी-23 गुट में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उन्हें अपनी नेता सोनिया गांधी पर पूरा भरोसा है। आजाद ने कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल ही नहीं उठाया जा सकता। सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कार्यसमिति की बैठक बुलाने और स्थाई अध्यक्ष चुनने की मांग करने वालों में गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेता शामिल थे।