भिलाई। मतस्य पालन के नाम पर छत्तीसगढ़ के किसानों से बड़ी ठगी का मामला सामने आया है। गुडगांव हरियाणा की फिश फार्चून प्रोडयूशर कंपनी ने छत्तीसगढ़ में मॉडल फिशिंग का झांसा देकर कई किसानों से ठग लिया। कंपनी ने प्रदेश के अलग अलग जिलों से 5 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की। कंपनी ने किसानों को ऐसा सब्जबाग दिखाया कि वे कर्ज उठाकर इस प्रोजेक्ट में रुपए लगाए। कई किसानों से रुपए डिपॉजिट कराने के बाद कंपनी ने अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया। ठगे किसान अब इंसाफ के लिए धक्के खा रहे हैं। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन छत्तीसगढ़ सामने आया है और पीडि़त किसानों को न्याय दिलाने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक जाने की बात कही है।
मामले में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष आदित्य चंद्राकर ने बताया कि गुडग़ांव हरियाणा कि फिश फार्चून प्रोड्यूसर कंपनी के एमडी बिजेन्द्र कुमार सीईओ विनय शर्मा ने छत्तीसगढ़ से सुधीर भंडारी, मनोज त्रिपाठी और गुलाब चंद्राकर को अपना साझेदार बनाकर यह सारा खेल किया। इन लोगों ने पहले योजनाबद्ध तरीके से ओम परिसर मोहन नगर में अपना कार्यालय शुरू किया। एजेंट बनाकर गावों में किसानों से संपर्क किया और फिश फार्मिंग के फायदे बताए गए। इसके लिए बकायदा दुर्ग के होटल सागर इंटरनेशनल में सेमीनार व मीटिंग भी आयोजित की। किसानों को देश के उन क्षेत्रों में घुमाया जहां इनके प्रोजेक्ट थे। यही लोकल स्तर पर किसानों को लुभाने मॉडल फिश प्रोजेक्ट तैयार कर इन्हें दिखाया गया। हर माह किसान को 63 हजार रुपए खाते में ट्रांसफर किया। इसके बाद एक-एक कर कई किसान इनके झांसे में आए। प्रति किसान 5.50 लाख का डिपोजिट कराया और टारगेट पूरा होते ही रुपए लेकर रफुचक्कर हो गए।
ऐसे लिया किसानों को झांसे में
पे्रसवार्ता के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष आदित्य चंद्राकर ने बताया कि फिश फार्चून प्रोड्यूसर कंपनी के एमडी बिजेन्द्र कुमार व सीईओ विनय शर्मा ने कंपनी को सरकारी योजनाओं के तहत प्रोडयूस किया। इन्होंने ऐसे किसानों को झांसे में लिया जो सामान्य खेती से तंग आ चुके हैं। ऐसे समय में लॉकडाउन लगा तो किसान और त्रस्त हो गए। फिश फार्चून प्रोड्यूसर कंपनी ने किसानों को हर माह 63 हजार रुपए कमाई की गारंटी दी। लॉकडाउन के कारण आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे किसानों को इस योजना में अपनी आर्थिक समस्या का समाधान नजर आने लगा। कंपनी के लोकल साझेदारों ने जिन किसानों के पास उनके स्वयं के खेत नही थे उन्हे लीज में खेत लेकर फिश फार्मिग के लिए प्रोत्साहित किया इसके सारे फार्मेलिटिस ऐग्रीमेंट आदि भी बनाकर देत थे।
मॉडल फिश फार्म दिखाकर किया आकर्षित
किसानों को बालोद के इरागुडा सिकोसा में देवेश चंद्राकर के मॉडल फिशिंग फार्म को दिखाया गया। इसे देखकर किसान काफी आकर्षित हुए और कंपनी में इन्वेस्ट कर दिया। कंपनी ने कहा कि तालाब बनाने से लेकर मछली का बीज व सुरक्षा सभी की जिम्मेदारी उनकी रहेगी। किसानों को केवल मछली पालन करना है। किसान इस झांसे में आ गए कि उनकी जमीन पर मछली पालन होगा और एक बड़ी कंपनी इसकी देखरेख करेगी। हर माह निश्चित रकम की गारंटी में सारे किसान फंस गए। जब किसान इनके झांसे में आए और 5.50 लाख रुपए डिपोजिट किया तो किसानों को आकर्षित करने पीडीसी भी दिया। इससे किसान पूरी तरह इनके चंगुल में फंस गए। कुछ माह तक इन किसानों को रुपए मिले। अक्टूबर के बाद किसानों केा रुपए मिलना बंद हो गया। तब इन्हें अहसास हुआ कि यह ठगे गए हैं।
मुख्यमंत्री, गृहमंत्री व कृषिमंत्री से की गई है शिकायत
आदित्य चंद्राकर ने बताया कि इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू व कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे से शिकायत की गई। सीएम ऑफिस से इसे कृषि विभाग भेज दिया गया। अब तक इस मामले में किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। आदित्य चंद्राकर ने कहा कि हम इस मामले में दो सप्ताह का इंतजार करेंगे यदि किसी प्रकार की कार्रवाई शासन प्रशासन नहीं करता है तो इस मामले पर हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। प्रेसवार्ता के दौरान ठगे किसानों में सुभाष महतो, आलोक शर्मा, अजमल खान, जयप्रकाश, राधेश्याम, देवेश चंद्राकर, चमेली साहू, कौशल साहू, विजय साहू आदि उपस्थित रहे।
जाने किसानों ने क्या कहा
फिश फार्म को मॉडल बनाकर दूसरों को दिखाया
कंपनी के ठगी का शिकार देवेश चंद्राकर ने बताया कि उनका शुरू से फिश फार्मिंग में इंटरेट रहा। उन्हें गुडगांव की इस कंपनी का पता चला तो जानकारी ली। कंपनी ने जो प्रोजेक्ट दिखाया उससे प्रभावित होकर 5.50 लाख जमा किए। इसके दूसरे ही दिन काम शुरू हो गया। तालाब बना, पानी भरा गया और मछली के बीज भी डाल दिए गए। शुरुआती माह में रुपए खाते में आ रहे थे। देवेश ने बताया कि कंपनी उनके फिश फार्म के मॉडल के रूप में कई किसानों को दिखाया। कई किसान यहां विजिट करने आते थे। सितंबर तक रुपए खाते में रुपए आए उसके बाद बंद हो गए।
शासकीय योजना से बात नहीं बनी तो इस कंपनी से मिला
कवर्धा के किसान अजमल खान ने बताया कि उन्होंने फिश फार्मिंग के लिए राज्य शासन के विभाग के कई चक्कर काटे लेकिन योजना का लाभ नहीं मिला। विभाग ने केन्द्र से बजट नहीं मिलने की बात कहते हुए तीन माह तक घुमाया। इसके बाद फिश फार्चुन प्रोडयूसर कंपनी का पता चला। इस कंपनी ने आधे एकड़ में काम शुरू करने का भरोसा दिलाया। इनके प्रोजेक्ट को देखकर रुपए इन्वेस्ट किए। रुपए भी गए और काम भी नहीं हुआ।
सरकारी प्रोजेक्ट की तरह किया प्रजेंट
चांपा के किसान जय प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि इस कंपनी ने अपने आप को सरकारी योजनाओं के तहत प्रोजेक्ट किया। कंपनी ने बताया था कि राज्य सरकार फिशिंग को प्रोत्साहन दे रही है और उसके तहत हम काम कर रहे हैं। शानदार प्रेजेंटेशन के झांसे में आए गए और रुपए इन्वेस्ट कर दिया। कंपनी ने सभी सुविधाएं मुहैय्या कराने का दावा किया। शुरुआत ठीक रही पर बाद में पता चला हम ठगे गए। इसी प्रकार राधे श्याम कौशल ने बताया उनके साथ भी इसी प्रकार का खेल किया गया। अब कर्ज के कारण परेशानियां बढ़ गई है।