भुवनेश्वर (एजेंसी)। ओडिशा के गंजम के एक पूर्व जिला कलेक्टर के आवास पर घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली 12 वर्षीय एक लड़की को चाइल्डलाइन एनजीओ द्वारा सोमवार को भुवनेश्वर में उनके घर से बचाया गया। ऐसे बच्चों को छुड़ाने वाले चाइल्डलाइन एनजीओ के निदेशक बेनुधर सेनापति ने कहा कि सूचना मिली कि गरीबी से पीडि़त लड़की को बेरहामपुर से तस्करी कर लाया गया था और घरेलू सहायिका के रूप में काम पर रखा गया था। चाइल्डलाइन टीम ने नयापल्ली पुलिस की मदद से लड़की को बचाया।
उन्होंने कहा, जिस घर से लड़की को बचाया गया था, उसके मालिक दीनानाथ पांडा हैं, जो गंजम के 84 वर्षीय सेवानिवृत्त जिला कलेक्टर और पूर्व आबकारी आयुक्त हैं। यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाले हैं, वे शोषण कर रहे हैं। पांचवीं कक्षा की छात्रा नाबालिग लड़की को कथित तौर पर नवंबर 2020 में गंजम जिले के बेरहामपुर में उसके गांव से तस्करी कर लाया गया था और पांडा के आवास पर घरेलू काम में लगी हुई थी। उसका स्कूल बंद होने के कारण उसे पांडा के घर काम पर भेज दिया गया। लड़की का पिता रिक्शा चालक है और मां घरेलू सहायिका का काम करती है।
अधिकारियों ने कहा कि लड़की को खुर्दा बाल कल्याण समिति के अतिरिक्त अध्यक्ष के समक्ष पेश किया गया, जैसा कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत अनिवार्य है। सीडब्ल्यूसी ने उसे भुवनेश्वर के एक बाल देखभाल संस्थान में रखा और गंजम सीडब्ल्यूसी के साथ-साथ उसके पैतृक घर गजपति जिले के सीडब्ल्यूसी द्वारा आगे की जांच का आदेश दिया।
चाइल्डलाइन अधिकारियों ने कहा कि पुलिस को बच्चे को न्याय दिलाने के लिए सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है। महापात्रा ने कहा, चूंकि यह स्पष्ट रूप से बाल तस्करी और घरेलू दासता का मामला है, इसलिए पुलिस को धारा 370/374/342/34 आईपीसी और किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 79 और 75 के तहत मामला दर्ज करना चाहिए। आरोपी को दंडित किया जाना चाहिए। किसी को भी बच्चों का शोषण करने और उनकी भेद्यता का फायदा उठाने की हिम्मत नहीं करनी चाहिए। खुर्दा सीडब्ल्यूसी के अपर अध्यक्ष परशुराम महाराणा ने कहा कि आगे की जांच के बाद सेवानिवृत्त जिला कलेक्टर के खिलाफ आईपीसी के तहत और मामले दर्ज किए जा सकते हैं। बाल अधिकार संरक्षण के लिए ओडिशा राज्य आयोग में भी एक याचिका दायर की गई है।