राजिम। माघी पुन्नी मेला में ग्रामोद्योग संचालनालय रेशम प्रभार का स्टाॅल भी दर्शकों को भी अपनी ओर आकार्षित कर रहे हैं। यह पर रेशम केन्द्र किरवई के सदस्यों द्वारा दर्शनार्थियों को कोसा से रेशा कैसे प्राप्त किया जाता हैं, उसकी जानकारी दे रहे है। वे बता रहे है कि सबसे पहले कोसा को ढक्कन बंद टीन में 100 से लेकर 1500 नग तक उबाला जाता हैं। इसमें माटी राख और निरमा और कपड़े धोने का साबुन डाला जाता हैं। फिर कोसा को उपर लाने के लिए या भाप देने के लिए टीन के अंदर ईट डाली जाती हैं और कोसा उपर आ जाता हैं। उसके बाद उपर आए कोसे को बांस की बनी टोकरी में रखा जाता है और बोरे से उसे ढक दिया जाता है। फिर उसमें साफ पानी डाला जाता हैं जब तक कि उससे गंदा पानी निकलना बंद न हो जाए। फिर उबले हुए कोसे से धागा बनाने का काम करते हैं और यही रेशम कहलाता हैं। रेशम के उत्पादन से उत्पादन कर्ता को अच्छी आय की प्राप्ति होती है। क्योंकि रेशम के धागे अन्य स्थानों पर बहुत बड़ी मंाग है यदि हम उस व्यवसाय से जुड़ जाए तो हमारी आर्थिक स्थित मजबूत हो जाएगी क्योकि कोसे का उत्पादन हम अपने खेतों के मेढ़ में लगे अर्जुनी पेड़(कहुवा) किया जा सकता है और कृषि के साथ-साथ कोसे का भी उत्पादन किया जा सकता हैं। जिसकी जानकारी प्रदर्शनी में सदस्यों के द्वारा ली जा रही है।