नई दिल्ली (एजेंसी)। देश के अलग-अलग राज्यों में बनने वाले एम्स जैसे संस्थानों को शुरू होने में देरी हो रही है। देरी की वजह जानने के लिए जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने दस्तावेजों को पलटना और उनकी प्रगति रिपोर्ट जांचनी शुरू की, तो चौंकाने वाले और बड़े अजब-गजब कारण सामने आए। पता चला किसी राज्य ने एम्स को बनने के लिए वक्त पर बिजली का कनेक्शन ही नहीं दिया, तो किसी ने पानी देने में आनाकानी की। और तो और एम्स बनने के लिए कुछ राज्यों ने तो मिट्टी तक देने में खूब देरी की, तो किसी ने एम्स बनने वाली जगह पर जरूरत के लिए रेत की भी उपलब्धता नहीं कराई। ऐसे एक नहीं कई हैरान करने वाले कारण सामने आए हैं, जिसके चलते एम्स जैसे संस्थान को शुरू होने में देरी हो रही है।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत पिछले कुछ सालों में देश के कई राज्यों में एम्स जैसे संस्थान को बनाने की मंजूरी मिली। इसके लिए बाकायदा बजट तक जारी कर दिया गया। पिछले हफ्ते केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इन संस्थानों की प्रगति रिपोर्ट जानी। रिपोर्ट में पाया गया कि 2021 से 2025 तक बनकर शुरू होने वाले 15 संस्थानों के काम में राज्य सरकारों की ढीले ढाले रवैये के चलते देरी हुई। रिपोर्ट में पता चला कि आंध्रप्रदेश के मंगलागिरी में बनने वाले एम्स के लिए राज्य सरकार ने वक़्त पर रेत ही उपलब्ध नहीं कराई थी। इसके अलावा पानी की आपूर्ति की जरूरतों को भी तय वक्त में पूरा नहीं किया। नतीजा हुआ कि संस्थान बनने में देरी हो गई।
महाराष्ट्र के नागपुर में बनने वाले हैं एम्स में हो रही देरी में तो और ही गजब की बातें सामने आईं। जांच में पता चला कि जहां एम्स बनना है वहां पर से गुजरने वाले बिजली के हाईटेंशन तार, पानी की पाइप और नालों का विस्थापन होना था। राज्य सरकार ने न नालों का विस्थापन वक्त पर किया और न ही हाई टेंशन वायर हटाए, इसके अलावा पानी की पाइप सही वक्त पर नहीं हटाई। नतीजा हुआ कि यहां के अस्पताल में भी देरी हुई।
इसी तरह पश्चिम बंगाल के कल्याणी में बनने वाले एम्स में भी देरी हुई। केंद्र सरकार की रिपोर्ट कहती है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने एम्स बनने के लिए ना तो तय वक्त पर बिजली दी न ही पानी दिया और तो और जो साइट है वहां की मिट्टी भी अच्छी नहीं है। इस वजह से यहां भी देरी हुई।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भी बनने वाले एम्स में भी विलंब हुआ। हालांकि यह विलंब शुरुआती दौर में जमीन के मिलने में देरी की वजह से हुआ। गुवाहाटी में बनने वाले एम्स का अभी तक महज एक तिहाई काम ही पूरा हो पाया है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट कहती है राज्य सरकार ने जहां पर एम्स बनना था, वहां मिट्टी का भराव ही वक्त पर नहीं किया। नतीजतन प्रोजक्ट में देरी हुई।
हरियाणा के मनेठी में तय हुआ था कि फरवरी सन 2023 में एम्स जैसा संस्थान बनकर इलाके के मरीजों की सेवा शुरू कर देगा। लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि अभी तक तो मनेठी में एम्स के लिए जमीन ही नहीं मिली है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में बनने वाले ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस को इसी साल दिसंबर में बन कर शुरू हो जाना था। लेकिन पर्यावरण नियमों के चलते पेड़ों की कटान पर प्रतिबंध लगा हुआ है इस वजह से यहां पर देरी हो रही है।
झारखंड के देवघर में बनने वाले ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जैसे अस्पताल का अभी एक-चौथाई काम ही पूरा हुआ है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट कहती है कोविड-19 के कारण यहां पर देरी हुई। हालांकि तय यही हुआ था कि संस्थान अगले साल मार्च में शुरू हो जाएगा। इसी तरह जम्मू के सांबा में बनने वाले एम्स का भी महज सात फीसदी काम पूरा हुआ है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है ज्यादातर संस्थानों में काम कोविड-19 की वजह से भी लेट हुआ।
गुजरात के राजकोट में बनने वाले एम्स का भी काम पूरा नहीं हो पाया है। रिपोर्ट कहती है काम चल रहा है। इसके अलावा तेलंगाना के बीवी नगर में बनने वाले एम्स का भी काम अधूरा है। बिहार के दरभंगा में बनने वाले एम्स की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसी तरह मदुरई में बनने वाले एम्स और जम्मू कश्मीर के अवंतीपुर में बनने वाले एम्स की भी प्रक्रिया शुरू हो गई है।