नई दिल्ली । कोरोना वायरस के लगातार फैलते संक्रमण को रोकने के लिए दवाओं और वैक्सीन की खोज जारी है। इस बीच वैज्ञानिकों ने एक हैरान करने वाला दावा किया है। दरअसल, दुनिया के 200 वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध के मुताबिक, महामारी सार्स और मार्स के वायरसों की प्रकृति भी कोविड-19 वायरस से लगभग मिलती-जुलती है। ये तीनों ही अपने स्पाइक प्रोटीन के जरिए इंसान की कोशिकाओं पर हमला करते हैं और उसे संक्रमित कर देते हैं। ऐसे में वैज्ञानिक जिन दवाओं या इलाज की खोज करने में जुटे हुए हैं, वो इन तीनों ही महामारियों से सुरक्षा दे सकती है। आपको बता दें कि कोविड की तरह ही सार्स और मार्स वायरस की भी कोई दवा अब तक नहीं बनाई जा सकी है।
यह शोध साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इस शोध में छह देशों में स्थित 14 अनुसंधान संस्थानों के 200 वैज्ञानिकों ने भाग लिया था। उन्होंने अमेरिका के 7.4 लाख कोरोना मरीजों के डाटा का विश्लेषण किया, जिसमें उन्होंने पहले देखा कि उन्हें कौन सी दवाई दी गई और उससे संक्रमण में कितना सुधार हुआ। अब इस शोध के आधार पर वैज्ञानिक एक ऐसी दवा बनाने की कोशिश करेंगे, जो कोविड-19 के साथ-साथ सार्स, मार्स और भविष्य में फैल सकने वाले सभी तरह के कोरोना वायरस पर असरदार होगी।
शोध रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने कोविड-19 और सार्स, मार्स वायरस की एकसमान कमजोरियों की पहचान कर ली है, जिसके आधार पर एंटी-वायरस थेरेपी से इन वायरस को खत्म किया जा सकेगा।
कब जानलेवा बना कोरोना वायरस?
साधारण सर्दी-जुकाम कोरोना वायरस के कारण ही होते हैं। इसका इतिहास तो वैसे बहुत पुराना है, लेकिन पहले ये जानलेवा नहीं थे। साल 2002 में कोरोना वायरस का म्यूटेशन हुआ और सार्स महामारी फैली। इसके बाद साल 2012 में मार्स महामारी फैली और अब कोविड-19 महामारी फैली है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि कोविड-19 के बाद भी कोरोना के दूसरे स्ट्रेन दुनिया में तबाही मचा सकते हैं। ऐसे में इस शोध की मदद से उसे रोकने में मदद मिल सकती है।