रायपुर। छत्तीसगढ़ में ठंड से पहले ही एक बार फिर प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। देश में जहां एक तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ई- वर्ड इंटरनेशनल संस्थान हर प्रवासी पक्षी का डाटा एकत्रित कर रहा है, वहीं उसके सहयोग में छत्तीसगढ़ के भी पक्षी विशेषज्ञ काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में वर्ड्स एंड वाइल्ड लाइफ आफ छत्तीसगढ़ एक फेसबुक के समूह में करीब 10 हजार पक्षी प्रेमी जुड़कर प्रदेश में आने वाले प्रवासी पक्षियों की पहचान कर रहे हैं। पिछले सालों में पक्षी प्रेमियों के समूह ने प्रदेश में नौ दुर्लभ प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को पहली बार कैमरे में कैद किया है।
रेड-नेक्ड फालारोप, ग्रे प्लोवर, पैसेफिक गोल्डन प्लोवर, डनलीन, इंडियन स्कीमर, तेरेक सैंडीपिपर, लेजर सैंड प्लोवर, कर्लेव सैंडीपिपर, गूससैंडर और कासपियन गुल जैसे दुर्लभ पक्षी को पक्षी प्रेमियों ने खोजा है। वर्ड्स एंड वाइल्ड लाइफ आफ छत्तीसगढ़ की शुरुआत साल 2001 में रायपुर के पंडरी के रहने वाले बिजनेसमैन सोनू आरोरा ने की। पक्षियों के प्रति उनका प्रेम इतना है कि वे अब ई- वर्ड इंटरनेशनल संस्थान के साथ काम करके प्रदेश में लोगों को पक्षियों के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में चार सौ और देश में करीब 12 सौ आवासी और प्रवासी पक्षी पाए जाते हैं।
सोनी कहते हैं कि पक्षियों की कोई सरहद नहीं होती है। मौसम के अनुसार ये अपना घर और डगर दोनों ही बदल देते हैं, लेकिन ये जहां भी जाते हैं, लोगों को अपनी ओर खींच ही लेते हैं और खूबसूरत पक्षी हों तो उन्हें देखना किसे पसंद नहीं? पिछले सालों में प्रदेश की खूबसूरत वादियों में दुर्लभ प्रवासी पक्षियों का दीदार हो रहा है।