पटना (एजेंसी)। बिहार में सितंबर में योजनाओं की बारिश ने चुनावी वैतरणी में लहरें पैदा कर दी हैं। लॉकडाउन में सुस्त पड़ी राजनैतिक गतिविधियां अब कोसी और गंगा के कछारों पर उतरने लगी हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर रोज नई नई परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन कर रहे हैं। इसी के साथ चुनाव दर चुनाव बिहार को घोषणाओं की सौगात देने वाले प्रधानमंत्री ने भी इस बार फिर बिहार के लिए घोषणाओं वाला पिटारा खोल दिया है।
मिथिलांचल को दो हिस्सों में बांटती कोसी नदी के ऊपर पुल बना। रेल की पटरियों पर मिथिलांचल दौडऩे लगा। 18 सितंबर को प्रधानमंत्री ने कोशी रेल महासेतु की सौगात बिहार को दी।
516 करोड़ की लागत से बने इस पुल ने मिथिलांचल के दो हिस्सों को जोड़ दिया। 15 सितंबर को पीएम मोदी पटना के बेऊर और करमलीचक में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का शिलान्यास किया।
इसी दिन अमृत योजना का शिलान्यास भी प्रधानमंत्री ने किया। 15 सितंबर को पीएम मोदी ने नमामि गंगे के तहत रिवर फ्रंट डेवलेपमेंट स्कीम का भी एलान हुआ। इसी योजना के तहत बिहार के 12 लाख परिवारों को शुद्ध पानी देने का लक्ष्य रखा। जिनमें 6 लाख परिवारों को पहले से ही शुद्ध पानी मिल रहा है। कई अन्य परियोजाएं भी शुरू की गई।
विपक्ष ने पूछा पुराने वादों का क्या हुआ
10 से 18 सितंबर तक बिहार में शिलान्यास और उद्घाटनों का उत्सवी माहौल रहा। भाजपा कार्यकर्ता लोगों को इसके फायदे समझाने में अभी से जुटे हैं।
लेकिन विपक्ष बार- बार ये सवाल उठा रहा है कि प्रधानमंत्री ने बिहार के लिए जिस स्पेशल पैकेज का एलान किया था, उसका क्या हुआ? इतना ही नहीं 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वादों की यादा भी विपक्ष दिला रहा है।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राजद विधायक तेजस्वी ने प्रधानमंत्री की घोषणाओं को बिहार की जनता के साथ छलावा करार दिया है। तेजस्वी ने कहा कि बेरोजगार बिहारियों को गुमराह करने के लिए मंचों से बड़ी बड़ी घोषणाएं की जा रही हैं।