किसी के जोर से भी बोलने पर अगर सुनने में परेशानी हो तो यह हियरिंग लॉस यानी बहरापन का संकेत हो सकता है. बहरापन की स्थिति कम सुनना या बिल्कुल भी सुनाई न देना है. यह बीमारी हल्के से शुरू होती है और गंभीर समस्या बन सकती है. इसलिए इसके लक्षणों को समय पर समझना जरूरी है. अगर लोगों की आवाज या किसी भी प्रकार की ध्वनि धीमी सुनाई दे, कुछ विशेष तरह के शब्दों को समझने में परेशानी का अनुभव हो, टीवी या रेडियो को तेज आवाज में ही सुनने लगें या फिर लोगों को साफ, धीमी गति से और जोर से बोलने के लिए बार-बार कहना पड़े तो यह हियरिंग लॉस के संकेत हैं. इस तरह सुनाई न देने की स्थिति में दिनचर्या प्रभावित हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है.
बहरेपन का कारण कान के भीतरी हिस्से में क्षति होना, कान में मैल, कान में संक्रमण, असामान्य रूप से हड्डी बढऩा या ट्यूमर हो सकता है. इनके कारणों में कान के पर्दे में छेद होना भी शामिल है. सुनने की शक्ति कम होने या खोने की आशंका बढऩे के कुछ कारक हो सकते हैं, जिसमें उम्र का बढऩा, शोर, आनुवंशिकता हो सकती है. कुछ दवाइयां आंतरिक कान को नुकसान पहुंचा सकती हैं या फिर किसी रोग से तेज बुखार होने पर भी कान प्रभावित हो सकते हैं. यही नहीं अगर कोई ऐसी जगह काम करता है जहां शोर और तेज ध्वनि रोज के जीवन का हिस्सा हो तो भी यह स्थिति बन सकती है. कान की बीमारियां विशेष रूप से चिंताजनक होती हैं, क्योंकि दर्द और असुविधा या यहां तक कि सुनने की क्षमता कम होने का कारण बन सकती है. हालांकि, सभी प्रकार के कान के रोग से श्रवण हानि नहीं होती है, लेकिन कान के कुछ रोगों के परिणामस्वरूप बहरापन भी हो सकता है. हियरिंग लॉस को डायग्नोज करने के लिए शारीरिक परीक्षण, सामान्य स्क्रीनिंग टेस्ट, ट्यूनिंग फोर्क टेस्ट, ऑडीओमीटर टेस्ट किए जाते हैं. इसके उपचार के विकल्पों में कान के मैल को हटाना, सर्जिकल प्रक्रिया और हियरिंग एड्स शामिल हैं. खास बात यह भी है कि इस बीमारी के कारण अवसाद, चिंता और तनाव जैसी अन्य समस्याएं भी पैदा हो जाती हैं.
इस स्थिति तक कान को पहुंचाने से बेहतर है कि इसके बचाव के तरीके अपना लें. कम से कम शोर-शराबे, तेज आवाज और आयु संबंधी बहरेपन से बचने के लिए कुछ तरीके अपना सकते हैं. बेहतर होगा कि कान को तेज आवाज से बचाएं और इसके लिए ईयरमफ का इस्तेमाल करें. ईयरमफ बाहरी शोर से कान को बचाने का यंत्र है. जिन लोगों को रोजाना शोर वाले माहौल में काम करना होता है उन्हें नियमित रूप से सुनने की क्षमता की जांच करानी चाहिए, जिससे भविष्य में इस समस्या को बढऩे से रोका जा सके. मनोरंजन के साधना का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतनी जरूरी है. तेज आवाज में टीवी देखना, लंबे समय तक तेज आवाज में म्यूजिक सुनना. ईयरफोन का लगातार लंबे समय तक इस्तेमाल सुनने की क्षमता प्रभावित करता है. बेहतर होगा कि कोई भी इस तरह के साधनों को पहले से ही कम आवाज में सुनने की आदत डालें, जिसे सुनने की क्षमता पर असर न हो.