नई दिल्ली. बॉम्बे डाइंग के चेयरमैन नुस्ली वाडिया ने सुप्रीम कोर्ट में रतन टाटा के खिलाफ दायर मानहानि के सभी केस वापस ले लिए। इनमें से एक मामले में वाडिया ने 3,000 करोड़ रुपए का दावा किया था। उनका कहना था कि 24 अक्टूबर 2016 को सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटाने के बाद रतन टाटा और टाटा ग्रुप के बाकी लोगों ने मेरे लिए अपमानजनक शब्द कहे थे। मुझ पर पर मिस्त्री से मिले होने के आरोप लगाए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने बातचीत से मामला सुलझाने की सलाह दी थी
टाटा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मानहानि की मंशा नहीं थी। हालांकि, टाटा के जवाब से वाडिया संतुष्ट नहीं थे लेकिन केस वापस लेने को राजी हो गए। कोर्ट ने पिछले हफ्ते कहा था कि आप दोनों समझदार हैं, उद्योग जगत के प्रमुख हैं। बातचीत से मामला सुलझा सकते हैं, मुकदमेबाजी की क्या जरूरत है?
वाडिया ने रतन टाटा, टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और 8 निदेशकों के खिलाफ सबसे पहले मुंबई की मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस किया था। दिसंबर 2018 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने रतन टाटा और अन्य लोगों को नोटिस जारी किए थे। इसके बाद रतन टाटा पक्ष ने मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने वाडिया का केस रद्द कर दिया था।
वाडिया 2016 में टाटा ग्रुप की इंडियन होटल्स, टीसीएस, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील समेत अन्य कंपनियों के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक के तौर पर शामिल थे। दिसंबर 2016 से फरवरी 2017 के बीच हुई बैठकों में शेयरधारकों ने वाडिया के खिलाफ वोटिंग कर उन्हें बाहर कर दिया था।