इंदौर. सरकारी बैंकों का 250 करोड़ रुपए का लोन न चुकाने की वजह से इंदौर में एक बड़ी कार्रवाई की गई. भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) की अगुवाई वाले कंसोर्टियम ने लोन न चुकाने वाली कंपनी की संपत्ति सीज कर ली है. एसबीआई के कंसोर्टियम में आंध्रा बैंक, केनरा बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं. बताया गया कि सीता श्री फूड प्रोडक्ट्स लिमिटेड (Sita Shree Food Products) के मालिक दिनेश अग्रवाल ने बैंक से 250 करोड़ रुपए का लोन लिया था. समय पर कर्ज न चुकाने से यह एनपीए यानी गैर-निष्पादित संपत्ति हो गया था. कंपनी के कर्ज न चुकाने पर बैंक ने इंदौर कलेक्टर (Indore Collector) से कंपनी की बंधक संपत्तियों पर कब्जे के लिए अनुमति मांगी. कलेक्टर की मंजूरी के बाद गुरुवार को कंपनी की संपत्तियां सीज कर दी गईं.
कलेक्टर के आदेश पर कार्रवाई
बैंकों ने संपत्ति सीज करने से पहले कलेक्टर को आवेदन दिया था. इंदौर के कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने 31 अक्टूबर को कब्जा दिलाए जाने का आदेश दिया. इसके बाद बैंक अधिकारियों ने तहसीलदार के साथ जाकर कब्जा ले लिया. इससे पहले बैंक ने मार्च में भी एरोड्रम रोड की सीता श्री रेसीडेंसी के 18 फ्लैट को अटैच कर लिया था. साथ ही बरलई, पालदा क्षेत्र की करीब छह हेक्टेयर जमीन भी अटैच कर ली थी. ये संपत्तियां सीता श्री कंपनी और जीजी इन्फ्रा लिमिटेड के स्वामित्व की थीं. बैंक ने इन संपत्तियों पर किसी तरह की खरीदी-बिक्री पर भी रोक लगा दी थी.
अपनी-अपनी दलील
कंपनी के मालिक दिनेश अग्रवाल का कहना है कि उनके एनपीए की वजह सेल्स टैक्स विभाग की नीतियां हैं. उन्होंने कहा कि सोयाबीन प्लांटों की हालत पिछले 3 साल से खराब है. फिर भी सेल्स टैक्स विभाग ने रेस्टोपेटिक टैक्स लगा दिया. हम नियमानुसार टैक्स दे रहे थे, फिर भी 5 करोड़ रुपए टैक्स डिमांड निकाल दी और अखबार में विज्ञापन देकर प्लांट को नीलाम करने की सूचना प्रकाशित करा दी. इससे कंपनी से लेन-देन करने वाले लोग दूर हो गए. उन्होंने बताया कि उनके अन्य प्लांट चलते रहे, लेकिन सोयाबीन प्लांट बंद होने से घाटा बढ़ता गया. वहीं बैंक के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी ने लोन के एवज में कोई अदायगी नहीं की. कर्ज चुकाने के लिए बार-बार नोटिस दिया गया. जब ये राशि 250 करोड़ रुपए पहुंच गई तब कार्रवाई की गई. बैंक ने संपत्तियों को कब्जे में ले लिया है और इन्हें नीलाम कर पैसा वसूल करेगा.